उत्तर भारत और दक्कन के प्रांतीय राजवंश

उत्तर भारत के प्रमुख प्रांतीय राजवंश

  1. गहड़वाल वंश (कन्नौज)
    • राजधानी: कन्नौज
    • प्रमुख शासक: जयचंद (जयचंद गहड़वाल)
    • विशेषताएँ: गहड़वाल वंश ने गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक योगदान दिया। जयचंद की पराजय तराइन के द्वितीय युद्ध (1192) में मोहम्मद ग़ोरी के हाथों हुई।
  2. तोमर वंश (दिल्ली)
    • राजधानी: दिल्ली
    • प्रमुख शासक: अनंगपाल तोमर
    • विशेषताएँ: तोमर वंश ने दिल्ली को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र बनाया। अनंगपाल तोमर ने लाल कोट का निर्माण कराया, जो बाद में कुतुब-उद-दीन ऐबक के शासनकाल में कुतुब मीनार परिसर का हिस्सा बना।
  3. चंदेल वंश (बुंदेलखंड)
    • राजधानी: खजुराहो
    • प्रमुख शासक: विद्याधर
    • विशेषताएँ: चंदेल वंश ने बुंदेलखंड क्षेत्र में शासन किया और खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया। ये मंदिर उत्कृष्ट वास्तुकला के उदाहरण हैं।
  4. परमार वंश (मालवा)
    • राजधानी: धार
    • प्रमुख शासक: भोज
    • विशेषताएँ: परमार वंश ने मालवा क्षेत्र में शासन किया। राजा भोज एक महान विद्वान और साहित्यकार थे। भोजशाला उनकी विद्वता का प्रतीक है।
  5. चौहान वंश (अजमेर और दिल्ली)
    • राजधानी: अजमेर
    • प्रमुख शासक: पृथ्वीराज चौहान
    • विशेषताएँ: पृथ्वीराज चौहान, जिन्हें ‘राय पिथौरा’ भी कहा जाता है, ने तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद ग़ोरी को पराजित किया था। बाद में, तराइन के द्वितीय युद्ध में पराजित हुए।

दक्कन के प्रमुख प्रांतीय राजवंश

  1. यादव वंश (देवगिरी)
    • राजधानी: देवगिरी (दौलताबाद)
    • प्रमुख शासक: सिंहण, रामचंद्र
    • विशेषताएँ: यादव वंश ने महाराष्ट्र के देवगिरी क्षेत्र में शासन किया। ये क्षेत्र व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था।
  2. काकतीय वंश (वारंगल)
    • राजधानी: वारंगल
    • प्रमुख शासक: प्रतापरुद्र
    • विशेषताएँ: काकतीय वंश ने आंध्र प्रदेश के वारंगल क्षेत्र में शासन किया। इस वंश ने वारंगल किले का निर्माण किया और तेलुगु संस्कृति का विकास किया।
  3. होयसाल वंश (द्वारसमुद्र)
    • राजधानी: द्वारसमुद्र (वर्तमान हालेबिडु)
    • प्रमुख शासक: विष्णुवर्धन, नरसिंह
    • विशेषताएँ: होयसाल वंश ने कर्नाटक क्षेत्र में शासन किया। बेलूर और हालेबिडु के मंदिर उनकी उत्कृष्ट वास्तुकला के उदाहरण हैं।
  4. पांड्य वंश (मदुरै)
    • राजधानी: मदुरै
    • प्रमुख शासक: सुन्दरा पांड्य, जाटवरमन
    • विशेषताएँ: पांड्य वंश ने तमिलनाडु के मदुरै क्षेत्र में शासन किया। मीनाक्षी मंदिर और तमिल साहित्य में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।
  5. चालुक्य वंश (कल्याणी)
    • राजधानी: कल्याणी
    • प्रमुख शासक: विक्रमादित्य VI
    • विशेषताएँ: चालुक्य वंश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में शासन किया। बादामी, ऐहोले, और पट्टाडकल के मंदिर उनकी वास्तुकला की विशेषताएँ हैं।

निष्कर्ष

उत्तर भारत और दक्कन के प्रांतीय राजवंशों ने भारतीय उपमहाद्वीप के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन राजवंशों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अद्वितीय वास्तुकला, साहित्य और प्रशासनिक सुधारों का परिचय दिया, जिससे भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समृद्धि मिली।

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