मौर्य युग (321-185 ईसापूर्व) में अर्थव्यवस्था, सामाजिक जीवन, कला और वास्तुकला

मौर्य युग भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल है, जिसमें चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर अशोक तक के शासक शामिल हैं। इस युग में अर्थव्यवस्था, सामाजिक जीवन, कला और वास्तुकला में महत्वपूर्ण परिवर्तन और उन्नति हुई।

1. अर्थव्यवस्था

कृषि

  • प्रधान आर्थिक गतिविधि: मौर्य युग में कृषि प्रमुख आर्थिक गतिविधि थी। राज्य ने कृषि की वृद्धि और प्रबंधन के लिए कई उपाय किए।
  • जलसंसाधन और सिंचाई: सिंचाई के लिए जलसंसाधनों का विकास किया गया। जलाशयों और नहरों का निर्माण हुआ, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।

व्यापार और वाणिज्य

  • वाणिज्यिक मार्ग: मौर्य युग में वाणिज्यिक मार्गों का विस्तार हुआ। सिल्क रोड और अन्य व्यापारिक मार्गों के माध्यम से भारत के साथ विदेशों का व्यापार बढ़ा।
  • पैसे की व्यवस्था: मौर्य साम्राज्य में मुद्रा प्रणाली का व्यवस्थित उपयोग हुआ। चांदी और तांबे के सिक्के प्रचलित थे।

कराधान और वित्त

  • कर प्रणाली: मौर्य युग में एक सुव्यवस्थित कर प्रणाली थी। करों का संग्रह कृषि, व्यापार, और उद्योगों से किया जाता था।
  • वित्तीय प्रबंधन: अर्थव्यवस्था के सुचारु प्रबंधन के लिए विशेष विभाग और अधिकारी नियुक्त किए गए थे।

उद्योग और शिल्प

  • उद्योग: वस्त्र, वस्त्र निर्माण, और धातुकर्म में उन्नति हुई।
  • शिल्प: मौर्य काल में उत्कृष्ट शिल्पकला का विकास हुआ, जिसमें धातु के बर्तन, आभूषण और मूर्तियाँ शामिल थीं।

2. सामाजिक जीवन

वर्ग व्यवस्था

  • जाति व्यवस्था: समाज में जाति व्यवस्था का पालन किया जाता था। प्रमुख जातियाँ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र थीं।
  • सामाजिक विभाजन: विभिन्न सामाजिक वर्गों के अधिकार और कर्तव्य निर्धारित थे।

धर्म और धार्मिक जीवन

  • बौद्ध धर्म: अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ और इसे राज्य का समर्थन प्राप्त हुआ।
  • जैन धर्म: जैन धर्म भी प्रचलित था और इसके अनुयायियों को संरक्षण प्राप्त था।
  • हिंदू धर्म: पारंपरिक हिंदू धार्मिक प्रथाएँ और अनुष्ठान भी जारी थे।

शिक्षा और साहित्य

  • शिक्षा: शिक्षा का प्रचलन था, और तक्षशिला तथा नालंदा जैसे शिक्षा केंद्रों ने उच्च शिक्षा का प्रसार किया।
  • साहित्य: मौर्य काल के साहित्य में धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ शामिल थे।

यातायात और परिवहन

  • सड़कें और मार्ग: साम्राज्य के भीतर सड़क और मार्गों का विकास हुआ, जिससे व्यापार और यात्रा में सुधार हुआ।
  • नौवहन: नदियों और समुद्रों के माध्यम से नौवहन (जल परिवहन) में वृद्धि हुई।

3. कला और वास्तुकला

वास्तुकला

  • स्तूप और गुफाएँ: बौद्ध स्तूपों और गुफाओं का निर्माण प्रमुख वास्तुकला की उपलब्धियाँ हैं।
    • सांची स्तूप: अशोक द्वारा निर्मित प्रमुख बौद्ध स्तूप।
    • उज्जैन की गुफाएँ: जैन और बौद्ध गुफाएँ, जैसे कि उदयगिरि और खंडगिरी की गुफाएँ।
  • सारनाथ स्तूप: भगवान बुद्ध की पहली उपदेश सभा के स्थल पर निर्मित, यह स्तूप प्रमुख बौद्ध वास्तुकला का उदाहरण है।

कला

  • मूर्तिकला: मौर्य युग की मूर्तिकला ने महान शिल्पकला का प्रदर्शन किया। अशोक के शिलालेख और मोहरें इस काल की प्रमुख कला की उपलब्धियाँ हैं।
  • अशोक के शिलालेख: अशोक ने कई शिलालेख बनवाए, जो उस समय की कला और लेखन की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं।
  • यथार्थवादी शैली: मूर्तियों और चित्रों में यथार्थवादी शैली को अपनाया गया, जो पहले के काल से भिन्न था।

उपयोगी वस्त्र और वस्तुएँ

  • संग्रहालय वस्त्र: तांबे, चांदी, और अन्य धातुओं से निर्मित वस्त्र और वस्तुएँ इस काल की प्रमुख कलात्मक उपलब्धियाँ हैं।
  • उत्कृष्ट आभूषण: मौर्य काल में उच्च गुणवत्ता के आभूषण और सजावटी वस्तुएँ निर्मित की गईं।

निष्कर्ष

मौर्य युग ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस काल में अर्थव्यवस्था, सामाजिक जीवन, कला और वास्तुकला में महत्वपूर्ण विकास हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक के नेतृत्व में, मौर्य साम्राज्य ने प्रशासनिक सुधार, सांस्कृतिक उन्नति, और सामाजिक समरसता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। इस काल की कला और वास्तुकला आज भी भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

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