जैन धर्म

जैन धर्म भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्राचीन धर्म है, जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। यह धर्म अहिंसा और गैर-हिंसा के सिद्धांतों के प्रति गहरी निष्ठा रखता है। UPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जैन धर्म की गहरी समझ आवश्यक है क्योंकि यह भारतीय धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है।


जैन धर्म का उदय और इतिहास

संस्थापक

  • ऋषभदेव: जैन धर्म के पहले तीर्थंकर और आदिनाथ माने जाते हैं।
  • महावीर स्वामी: जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर। उनका जन्म 540 ईसा पूर्व और निर्वाण 468 ईसा पूर्व हुआ। उन्होंने जैन धर्म को पुनः जीवित किया और इसे व्यापक रूप से प्रचारित किया।

प्रमुख तीर्थंकर

  • ऋषभदेव (आदिनाथ): पहले तीर्थंकर, जिन्हें जैन धर्म की शुरुआत के रूप में माना जाता है।
  • पार्श्वनाथ: 23वें तीर्थंकर, जिन्होंने अहिंसा और आत्मा के शुद्धिकरण की शिक्षा दी।
  • महावीर स्वामी: 24वें तीर्थंकर, जिन्होंने जैन धर्म की मौजूदा रूपरेखा को संपूर्ण किया।

जैन धर्म के सिद्धांत

  1. अहिंसा (अहिंसा): सभी जीवों के प्रति दया और हिंसा से दूर रहना।
  2. सत्य (सत्य): सत्य बोलना और झूठ से बचना।
  3. अचौर्य (अचौर्य): चोरी न करना और अन्य की संपत्ति का सम्मान करना।
  4. ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य): इन्द्रियों पर नियंत्रण और यौन संयम।
  5. अपरिग्रह (अपरिग्रह): भौतिक संपत्ति का त्याग और अत्यधिक संपत्ति के संग्रह से दूर रहना।

जैन सिद्धांत और दर्शन

  • अन्यत्ववाद: हर वस्तु का अनेक दृष्टिकोण हो सकता है।
  • स्यादवाद: किसी भी चीज के बारे में सही ज्ञान केवल एक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि कई दृष्टिकोणों से होता है।
  • अनेकांतवाद: विभिन्न दृष्टिकोणों को स्वीकार करने का सिद्धांत।

जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ और साहित्य

आगम साहित्य

  • श्वेतांबर आगम: 45 आगम ग्रंथ, जो जैन धर्म के शिक्षाओं का संकलन हैं।
  • दिगंबर आगम: 32 आगम ग्रंथ, जिनमें मूल ग्रंथ नहीं बचे हैं।

प्रमुख ग्रंथ

  • तत्त्वार्थसूत्र: उमास्वाती द्वारा रचित, जैन धर्म के दर्शन और सिद्धांतों का संक्षिप्त संकलन।
  • कल्पसूत्र: जैन धर्म के रीति-रिवाजों और त्योहारों का विवरण।
  • उत्ताराध्ययन सूत्र: नैतिकता और आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित।

जैन धर्म के संप्रदाय

  1. श्वेतांबर
    • स्थानकवासी: मूर्ति पूजा नहीं करते और साधारण जीवन जीते हैं।
    • तेरापंथी: आचार्य भिक्षु द्वारा स्थापित, यह संप्रदाय सुधारवादी दृष्टिकोण अपनाता है।
  2. दिगंबर
    • दिगंबर संप्रदाय: पूर्ण नग्नता का पालन करता है और बाहुबली की मूर्ति का आदर करता है।

जैन धर्म और समाज

शिक्षा और संस्कृति में योगदान

  • जैन विश्वविद्यालय: नालंदा और वल्लभी जैसे विश्वविद्यालय जैन शिक्षा के केंद्र थे।
  • कला और वास्तुकला: दिलवाड़ा के मंदिर, गोमतेश्वर की मूर्ति, हाथीगुम्फा की शिलालेख।
  • साहित्य: प्राकृत, संस्कृत और अपभ्रंश में महत्वपूर्ण ग्रंथों का योगदान।

आर्थिक और सामाजिक योगदान

  • वाणिज्य और उद्योग: जैन व्यापारियों और उद्योगपतियों की महत्वपूर्ण भूमिका।
  • सामाजिक सेवाएं: अन्न क्षेत्र, धर्मशालाएँ, और चिकित्सा सेवाएं।

जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल

  • श्रवणबेलगोला (कर्नाटक): गोमतेश्वर की विशाल मूर्ति।
  • पारसनाथ पहाड़ी (झारखंड): तीर्थंकर पार्श्वनाथ का प्रमुख स्थल।
  • पावापुरी (बिहार): महावीर स्वामी का निर्वाण स्थल।
  • दिलवाड़ा मंदिर (राजस्थान): जैन मंदिरों की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण।

जैन धर्म का प्रभाव

  • अहिंसा का सिद्धांत: महात्मा गांधी के विचारों पर गहरा प्रभाव।
  • पर्यावरण संरक्षण: जीवन के प्रति दयालुता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता।
  • स्वस्थ जीवन शैली: शाकाहार और साधारण जीवनशैली को प्रोत्साहन।

निष्कर्ष

जैन धर्म भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके सिद्धांत और आचरण भारतीय समाज में नैतिकता और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते हैं। UPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जैन धर्म का अध्ययन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय इतिहास, संस्कृति, और धर्म की समझ को गहरा करता है।

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