मौर्य पूर्व युग के दौरान विदेशी आक्रमण

मौर्य पूर्व युग (लगभग 600 ईसापूर्व – 321 ईसापूर्व) के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप पर कई विदेशी आक्रमण हुए, जिन्होंने उस समय की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। यहाँ पर प्रमुख विदेशी आक्रमणों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है जो UPSC की परीक्षा के लिए उपयोगी हो सकती है।

1. अलेक्जेंडर का आक्रमण (327-326 ईसापूर्व)

पृष्ठभूमि

  • अलेक्जेंडर का साम्राज्य: अलेक्जेंडर महान, मैसेडोनिया के राजा, ने अपने साम्राज्य का विस्तार करते हुए भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बढ़ने का निर्णय लिया। उनका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप में भी अपनी शक्ति स्थापित करना था।

आक्रमण की प्रमुख घटनाएँ

  • सिंधु घाटी पर आक्रमण: अलेक्जेंडर ने 327 ईसापूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप की ओर कदम बढ़ाया और पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के क्षेत्र में आक्रमण किया।
  • तक्षशिला पर विजय: उन्होंने तक्षशिला (वर्तमान पाकिस्तान में) पर विजय प्राप्त की, जहाँ पर स्थानीय शासक राजा अम्बी से सहयोग प्राप्त किया।
  • पोरस का युद्ध (326 ईसापूर्व): अलेक्जेंडर ने राजा पोरस के खिलाफ युद्ध किया। पोरस ने संघर्ष किया, लेकिन युद्ध के बाद अलेक्जेंडर ने उसकी वीरता की सराहना की और उसे पुनः उसका राज्य लौटाया।

परिणाम और प्रभाव

  • राजनीतिक प्रभाव: अलेक्जेंडर का आक्रमण भारतीय उपमहाद्वीप में राजनीतिक अस्थिरता का कारण बना। उनके बाद के आक्रमणों ने भारतीय उपमहाद्वीप के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया।
  • सांस्कृतिक प्रभाव: भारतीय उपमहाद्वीप और ग्रीस के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध बढ़े।

2. शक आक्रमण (लगभग 1st-2nd सदी ईसवी)

पृष्ठभूमि

  • शक साम्राज्य: शक, जो कि स्किथियन भी कहलाते हैं, केंद्रीय एशिया से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बढ़े। उनका आक्रमण भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग पर केंद्रित था।

आक्रमण की प्रमुख घटनाएँ

  • उपमहाद्वीप में प्रवेश: शक शासकों ने उत्तर-पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान में आक्रमण किया।
  • स्थानीय शासकों के साथ संघर्ष: शकों ने स्थानीय भारतीय शासकों, जैसे कि सातवाहन और कुषाणों, के साथ संघर्ष किया और भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

परिणाम और प्रभाव

  • राजनीतिक परिवर्तन: शक आक्रमणों ने भारतीय उपमहाद्वीप में राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष को बढ़ावा दिया।
  • सांस्कृतिक संपर्क: शक आक्रमणों ने भारतीय सांस्कृतिक और व्यापारिक संपर्कों को बढ़ाया।

3. यूनानी आक्रमण (लगभग 2nd सदी ईसवी)

पृष्ठभूमि

  • यूनानी साम्राज्य: यूनानी साम्राज्य, विशेषकर यूनानी-बीट्रियन (ग्रीक-बीट्रियन) साम्राज्य, ने भारतीय उपमहाद्वीप में आक्रमण किया।

आक्रमण की प्रमुख घटनाएँ

  • बद्रसक के आक्रमण: यूनानी आक्रमणकर्ताओं में बद्रसक ने उत्तर-पश्चिमी भारत में आक्रमण किया।
  • स्थानीय संघर्ष: बद्रसक और उनके उत्तराधिकारियों ने भारतीय शासकों के साथ संघर्ष किया और क्षेत्र में अपनी उपस्थिति स्थापित की।

परिणाम और प्रभाव

  • राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव: यूनानी आक्रमणों ने भारतीय राजनीति और संस्कृति पर प्रभाव डाला। यूनानी शासकों के साथ संघर्ष और आदान-प्रदान ने भारतीय सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को प्रभावित किया।

4. कुषाण आक्रमण (1st-3rd सदी ईसवी)

पृष्ठभूमि

  • कुषाण साम्राज्य: कुषाण साम्राज्य, जो केंद्रीय एशिया से आया था, ने भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश किया और बड़े क्षेत्र पर कब्जा किया।

आक्रमण की प्रमुख घटनाएँ

  • कुषाणों का प्रभाव: कुषाण साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर शासन किया और गंगा के मैदान तक अपना प्रभाव बढ़ाया।

परिणाम और प्रभाव

  • राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव: कुषाण आक्रमणों ने भारतीय उपमहाद्वीप में राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

निष्कर्ष

मौर्य पूर्व युग के दौरान विदेशी आक्रमणों ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक स्थिति को गहराई से प्रभावित किया। अलेक्जेंडर का आक्रमण, शक आक्रमण, यूनानी आक्रमण, और कुषाण आक्रमण ने भारतीय इतिहास की दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन आक्रमणों ने न केवल राजनीतिक संघर्षों को जन्म दिया बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को भी समृद्ध किया।

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