दिल्ली सल्तनत (1206-1526)

दिल्ली सल्तनत भारतीय उपमहाद्वीप में 1206 से 1526 तक के काल को संदर्भित करती है, जब विभिन्न तुर्की और अफगान वंशों ने दिल्ली पर शासन किया। यह कालखंड राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

सल्तनत के प्रमुख वंश

  1. गुलाम वंश (1206-1290)
    • स्थापक: कुतुब-उद-दीन ऐबक
    • प्रमुख शासक: इल्तुतमिश, रज़िया सुल्तान, बलबन
    • विशेषताएँ:
      • कुतुब-उद-दीन ऐबक ने कुतुब मीनार की नींव रखी।
      • इल्तुतमिश ने सल्तनत को संगठित किया और उसके सिक्के (तंका और जीतल) जारी किए।
      • रज़िया सुल्तान दिल्ली की पहली महिला शासक थी।
      • बलबन ने प्रशासन को मजबूत किया और सुदृढ़ सेना का गठन किया।
  2. खिलजी वंश (1290-1320)
    • स्थापक: जलाल-उद-दीन फिरोज खिलजी
    • प्रमुख शासक: अलाउद्दीन खिलजी
    • विशेषताएँ:
      • अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
      • कठोर प्रशासनिक सुधार, बाजार नियंत्रण और कृषि सुधार किए।
      • मंगोल आक्रमणों का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।
  3. तुगलक वंश (1320-1414)
    • स्थापक: गयास-उद-दीन तुगलक
    • प्रमुख शासक: मुहम्मद बिन तुगलक, फिरोज शाह तुगलक
    • विशेषताएँ:
      • मुहम्मद बिन तुगलक के कई महत्वाकांक्षी लेकिन असफल प्रयोग, जैसे राजधानी का स्थानांतरण और सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन।
      • फिरोज शाह तुगलक ने कई नहरों और शहरों का निर्माण कराया।
  4. सैयद वंश (1414-1451)
    • स्थापक: खिज्र खान
    • प्रमुख शासक: मुबारक शाह, मोहम्मद शाह
    • विशेषताएँ:
      • सैयद वंश की अवधि को कमजोर शासन और राजनीतिक अस्थिरता के लिए जाना जाता है।
      • सैयद शासकों ने अपने नियंत्रण में क्षेत्रीय शासकों से कर वसूली की।
  5. लोधी वंश (1451-1526)
    • स्थापक: बहलुल लोधी
    • प्रमुख शासक: सिकंदर लोधी, इब्राहिम लोधी
    • विशेषताएँ:
      • सिकंदर लोधी ने प्रशासनिक सुधार किए और आगरा को एक प्रमुख शहर बनाया।
      • इब्राहिम लोधी अंतिम शासक था, जिसे 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पराजित किया।

प्रशासनिक और सामाजिक संरचना

  • विभाजन और नियंत्रण: सल्तनत को विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित किया गया, जिन्हें ‘इक्ता’ कहा जाता था। इनका नियंत्रण ‘इक्तेदार’ के हाथों में होता था।
  • राजस्व प्रणाली: कृषि कर प्रमुख राजस्व स्रोत था। अलाउद्दीन खिलजी ने राजस्व संग्रहण के कठोर उपाय लागू किए।
  • सैन्य संगठन: सुल्तानों ने एक मजबूत सैन्य प्रणाली विकसित की। सैनिकों को नियमित वेतन दिया जाता था और सेना के नियंत्रण के लिए अलग से विभाग बनाए गए।
  • न्याय प्रणाली: शरिया कानून पर आधारित न्याय प्रणाली लागू की गई। काजी न्यायिक अधिकारी होते थे।

सांस्कृतिक योगदान

  • वास्तुकला: दिल्ली सल्तनत की वास्तुकला में तुगलकी शैली का विकास हुआ। कुतुब मीनार, अलाई दरवाजा, और तुगलकाबाद किला प्रमुख उदाहरण हैं।
  • साहित्य: फारसी भाषा और साहित्य का विकास हुआ। अमीर खुसरो और जियाउद्दीन बरनी जैसे कवि और इतिहासकार प्रसिद्ध हुए।
  • धर्म: इस्लाम का प्रसार हुआ और कई सूफी संतों ने अपना प्रभाव डाला। निज़ामुद्दीन औलिया और कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी प्रमुख सूफी संत थे।

निष्कर्ष

दिल्ली सल्तनत का काल भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस काल में राजनीतिक एकीकरण, सांस्कृतिक समृद्धि, और प्रशासनिक सुधार देखने को मिले। दिल्ली सल्तनत के पतन के बाद, मुगल साम्राज्य का उदय हुआ, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास को एक नई दिशा दी।

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